पलकोँ का ये शामियाना तेरा,
बहुत खूब ये आशियाना तेरा...
काजल की काली चटख ये घटा,
रंग इनसे भरूँ जिंदगी मेँ सदा,
बिजलियोँ सी चमक, रौशनी सी दमक,
मैँ निखरता रहूँ देख तेरी अदा,
इशारोँ मेँ सब कुछ बताना तेरा,
छुपे राज़ दिल के जताना तेरा ....
पलकोँ का ये शामियाना तेरा ...
बयान नजरोँ ने झुककर किया हाल-ए-दिल,
सिमट गया शर्म से फिर उठा चेहरा खिल,
नजाकत ये फूलोँ को हैराँ करे,
इबादत उमर मेरी तुमको लगे,
अनोखी महक से बहकती फिजा,
गाती पीहू-सी चहकती हवा,
आरजू-जुस्तजू यूँ जगाना तेरा,
तरन्नुम मेँ यूँ गुनगुनाना तेरा...
पलकोँ का ये शामियाना तेरा...!!