जीत गए, जग जीत गए;
गूँजे गाथा के गीत नए,
विश्वविजय का ताज लिए;
जन-मन झूमेँ, उल्लास लिए...
प्रतीक्षा वर्षोँ की अब रंग लाई,
प्रत्यक्ष सपनोँ की झलक जो पाई;
लहरे तिरंगा हिम शिखर पर शान से,
सम्मान की अनुपम घड़ी वह आई;
हर्ष और उत्कर्ष मेँ डूबे हुए,
आनंद के अतिरेक मेँ गोते लिए....
काफिला मीतोँ का बढ़ता ही रहे,
सिलसिला जीतोँ का चलता ही रहे;
बल मिले संकल्प को, विश्वास दृढ़ होता रहे,
आस का दीपक सदा, हर हृदय मेँ जलता रहे;
बाँधवोँ को साथ मेँ अपने लिए,
नए दौर मेँ हमने कदम हैँ रख दिए...!!
गूँजे गाथा के गीत नए,
विश्वविजय का ताज लिए;
जन-मन झूमेँ, उल्लास लिए...
प्रतीक्षा वर्षोँ की अब रंग लाई,
प्रत्यक्ष सपनोँ की झलक जो पाई;
लहरे तिरंगा हिम शिखर पर शान से,
सम्मान की अनुपम घड़ी वह आई;
हर्ष और उत्कर्ष मेँ डूबे हुए,
आनंद के अतिरेक मेँ गोते लिए....
काफिला मीतोँ का बढ़ता ही रहे,
सिलसिला जीतोँ का चलता ही रहे;
बल मिले संकल्प को, विश्वास दृढ़ होता रहे,
आस का दीपक सदा, हर हृदय मेँ जलता रहे;
बाँधवोँ को साथ मेँ अपने लिए,
नए दौर मेँ हमने कदम हैँ रख दिए...!!
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