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Monday, August 15, 2011

आह्वान

स्वतंत्रता-दिवस की शुभकामनाओं के साथ एक आह्वान.....
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         रण-भेरी बज उठी है यारों, जागो देश पुकारता;
                      भ्रष्टों की अब खैर नहीं, बूढा शेर दहाड़ता...




लोकपाल एक ब्रह्मास्त्र है,
     आज जरुरत आन पड़ी;
काले फन फैला फुंफकारती,
    विकराल विपत्ति आन खड़ी..


  
ताले मुँह पर लगा हैं बैठे,
       उनसे अपनी उम्मीद नहीं;
   अपने हाथों से भारत की,
        रच डालेंगे तस्वीर नई...
 




लहराता ध्वज बोल रहा,
   बलिदान तुम्हारा व्यर्थ नहीं,
हे भारती संतति तुम्हरा,
   यश गायेंगी पीढियाँ कई...





यह समर जागृति-चिंतन का,
    प्रतिकार विकृति-दमन का;
आओ जीवन आहुति दे दें,
   यह यज्ञ जागरण-मंथन का....!!



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