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Friday, December 30, 2011

नए वर्ष तुम आए

दस्तक देता दरवाजे पर,
    यह कौन अतिथि आया;
घने कोहरे से झाँका तो, 
      वह अजनबी मुसकाया;

राम-रहीम हुई उससे,
       मैंने भीतर बैठाया,
चाय पियोगे या कॉफी,
        मैंने आतिथ्य निभाया;

          
देवदूत-सी आभा मुख पर,
   "नव-वर्ष" नाम बतलाया,
झोली में समेट कई सौगातें,
    वह अलबेला लाया;
                    
झट एक पिटारा खोल, 
     जादूगर ने करतब दिखलाया,           
 आशाएँ खिल उठीं, जगी उमंगें;
        जीवन निखरा हर्षाया;
 


ScrapU

वह चेतना-वाहक, सृजनशील मन-भाया,
       निष्पक्ष निरीक्षक जिसने, नित कर्म-मार्ग दिखाया;

स्वच्छंद विहग-सा मन उड़ता, 
नूतन आकाश है पाया,
          
 स्वर संवरे, उल्लास जनित; 
       इक गीत नया-सा गाया ...!!

Saturday, December 24, 2011

रुपहली रात





तारे चमकेँ, जुगनू दमकेँ;
   चंदा की बारात,

आँखेँ मलके, दुनिया देखे, 
    सजी रुपहली रात...!!

डोली से चाँदनिया झाँके,
    चोरी-से चुपके मुख ढाँपे;

मुस्कान मिली सौगात;
    सजी रुपहली रात....!!

ओस-वृष्टि, आशीष झरे;
     मोती-माणिक सम बिखरे,

युगोँ-युगोँ का साथ,
        सजी रुपहली रात...!!

महक-बहक हवा चली,
     सखी दुल्हन की मनचली;
          
कानोँ मेँ कह वह बात,
        सजी रुपहली रात....!!

गगन मगन, मधुर मिलन,
       पुलक उठा, भरे नयन;
     
 उमंग नए जज्बात,
          सजी रुपहली रात....!!
   
 मुग्ध धरा यह दृश्य देख,
          रोमांचित-सी, हर्षातिरेक;

  चमके डाली हर पात,
        सजी रुपहली रात...!!


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