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Friday, May 6, 2011

जश्न जीत का

जीत गए, जग जीत गए;
  गूँजे गाथा के गीत नए,
   विश्वविजय का ताज लिए;
     जन-मन झूमेँ, उल्लास लिए...


प्रतीक्षा वर्षोँ की अब रंग लाई,
 प्रत्यक्ष सपनोँ की झलक जो पाई;
  लहरे तिरंगा हिम शिखर पर शान से,
    सम्मान की अनुपम घड़ी वह आई;


                हर्ष और उत्कर्ष मेँ डूबे हुए,

                 आनंद के अतिरेक मेँ गोते लिए....


काफिला मीतोँ का बढ़ता ही रहे,
  सिलसिला जीतोँ का चलता ही रहे;
    बल मिले संकल्प को, विश्वास दृढ़ होता रहे,
      आस का दीपक सदा, हर हृदय मेँ जलता रहे;


                 बाँधवोँ को साथ मेँ अपने लिए,
                  नए दौर मेँ हमने कदम हैँ रख दिए...!!

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