यह कौन अतिथि आया;
घने कोहरे से झाँका तो,
वह अजनबी मुसकाया;
राम-रहीम हुई उससे,
मैंने भीतर बैठाया,
चाय पियोगे या कॉफी,
मैंने आतिथ्य निभाया;
देवदूत-सी आभा मुख पर, "नव-वर्ष" नाम बतलाया,झोली में समेट कई सौगातें, वह अलबेला लाया;
झट एक पिटारा खोल, जादूगर ने करतब दिखलाया, आशाएँ खिल उठीं, जगी उमंगें; जीवन निखरा हर्षाया;
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वह चेतना-वाहक, सृजनशील मन-भाया,
निष्पक्ष निरीक्षक जिसने, नित कर्म-मार्ग दिखाया;
स्वच्छंद विहग-सा मन उड़ता, नूतन आकाश है पाया,
स्वर संवरे, उल्लास जनित; इक गीत नया-सा गाया ...!!
4 comments:
स्वच्छंद विहग-सा मन उड़ता, नूतन आकाश है पाया,
स्वर संवरे, उल्लास जनित; इक गीत नया-सा गाया ...
हमारी ओर से भी नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनायें स्वीकार करें
(कृपया वर्ड वैरिफिकेसन हटा दीजिये)
आपके ब्लॉग का खूबसूरत कलेवर तो मेरे मन को भा गया । वर्ड वेरिफ़िकेशन को हटाने की इल्तज़ा तो हम भी करेंगे ।
waah bahut achcha likha hai.
word verification kaise htaya mujhe bhi btaiye please......
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